सोमवार, 21 जुलाई 2008

मोहब्बत का नजराना

जब भी उनके प्यार की चाहत हुई,
हमें तो आँसुओं का नजराना मिला।
जब भी हमें उनकी जरुरत हुई,
हर- बार बस एक नया बहाना मिला।
जब भी उनके साथ की तमन्ना हुई,
हमें तो तन्हाइयों का ही सहारा मिला।
औरों की दुनिया में,
खुशियाँ लाई हो बेशक! ये मोहब्बत,
हमें तो,
जलती हुई दीवारों का आशियाना मिला!!!