जब भी उनके प्यार की चाहत हुई,
हमें तो आँसुओं का नजराना मिला।
जब भी हमें उनकी जरुरत हुई,
हर- बार बस एक नया बहाना मिला।
जब भी उनके साथ की तमन्ना हुई,
हमें तो तन्हाइयों का ही सहारा मिला।
औरों की दुनिया में,
खुशियाँ लाई हो बेशक! ये मोहब्बत,
हमें तो,
जलती हुई दीवारों का आशियाना मिला!!!
2 टिप्पणियां:
सुन्दर!
Dear Mugdha !
Nice poetry !
Impressive
:)
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